हाय बैरी ! ये जमाना जुल्म, उस पर ढहा रहा था । बन गई थी अब वो विधवा, फिर भी उसे सजा रहा था ।। -कृष्णा शिवहरे

हाय बैरी ! ये जमाना जुल्म, उस पर ढहा रहा था । बन गई थी अब वो विधवा, फिर भी उसे सजा रहा था ।। -कृष्णा शिवहरे

हाय बैरी ! ये जमाना जुल्म, उस पर ढहा रहा था । बन गई थी अब वो विधवा, फिर भी उसे सजा रहा था ।। -कृष्णा शिवहरे

पूरा पढ़ें  
I BUILT MY SITE FOR FREE USING