नववर्ष पर एक रोचक मनोवैज्ञानिक कहानी जो सुरभि संदेश के एक पाठक ने उपलब्ध कराई है

नववर्ष पर एक रोचक मनोवैज्ञानिक कहानी जो सुरभि संदेश के एक पाठक ने उपलब्ध कराई है

ह सुनकर वह कार का दरवाजा खोलते हुए आगे की सीट पर सलीके से बैठ गई। जब कार चलने लगी तो वह कनखियों से मुझे देख रही थी। मुझे इसका भान था, वह देखने में वह बहुत ही सुंदर और आकर्षक थी। मैं कार चला रहा था और हम दोनों में से बोल कोई नहीं रहा था। लेकिन मन ही मन एक दूसरे के बारे में सोच रहे थे। उसने मुझे अपने घर का पता बताया और मुझे वहां तक जाने में आधा घंटा का समय लगा।

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