अब वह समय आ गया है जब गांधी परिवार को ये सोचना चाहिए कि फिलहाल उन्हें परिवार से बाहर किसी ऐसे स्वीकार्य नेता को पार्टी की बागडोर सौंपनी चाहिए जो हाशिए पर जा खड़ी हुई पार्टी को जमीनी स्तर से खड़ा कर सके। बूथ लेवल से पार्टी को हर राज्य में खड़ा करने की जरूरत है। नया नेतृत्व लाने की जरूरत है। ऐसा नहीं है कि पार्टी में अनुभवी और मंझे हुए लोग न हों। ऐसा भी नहीं हैं कि पार्टी में नई सोच वाले युवा न हों। इनके बीच तालमेल बैठाकर बजुर्गों के अनुभव और युवाओं की मेहनत के बल पर एक बार फिर पार्टी में जान फूंकना होगा। तभी आगे पार्टी का भविष्य बचेगा। अन्यथा जिम्मेदारी से बचते हुए अहम मौकों पर इस प्रकार की विदेश यात्राएं आगे भी जारी रहेंगी।
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