भारत में यह पहला मौका है जब किसानों की सभी मांगो को सरकार द्वारा माना जा रहा हो और सरकार सारी शंकाओ का निवारण मौखिक व लिखित रूप से करने को तैयार है, सिवाय बिल रद्द के। जब किसान की सारी मांगें मानी जा रही हैं फिर किसानों को जिद करने की क्या आवश्यकता है, यह समझ से बाहर है। पंजाब में तो पहले से ही कांट्रेक्ट पर खेती हो रही थी। पंजाब सरकार अपने यहां इस बिल लागू भी नहीं कर रही है। तब किसानों को आंदोलन की क्या आवश्यकता है, यह समझ से परे है।
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