कृषि बिल को लेकर किसानों की समस्याओं को लेकर प्रगतिशील कृषकों ने सुरभि संदेश के साथ साझा किए विचार         : जावेद अख्तर

फोटो: कृषि बिल को लेकर बेतवा सीड्स के कार्यालय में सुरभि संदेश के साथ बात करते प्रगतिशील कृषक

जालौन। इन दिनों कृषि बिल को लेकर काफी हाय तौबा मची हुई है। आखिर नए कृषि बिल में किसानों के समक्ष क्या समस्याएं आ रही हैं और बिल में क्या संशोधन होने चाहिए इसी को लेकर बेतवा सीड्स के संचालक रामराजा निरंजन द्वारा बेतवा सीड्स के कार्यालय में किसानों के साथ पत्रकार वार्ता को आयोजन किया गया। जिसमें क्षेत्र के प्रगतिशील कृषकों ने कृषि बिल को लेकर किसानों की समस्याएं और बिल में संशोधन को लेकर अपने विचार साझा किए। 

कृषि बिल को लेकर जैविक खेती को बढ़ावा देने में लगे और केंचुआ खाद उत्पादक अशोक सिंह मांडरी ने कहा कि किसान बिल में एमएसपी को स्थान नहीं दिया गया। जो कि गलत है। इससे किसान आशंकित हैं कि एमएसपी न होने से उनकी फसल को उचित मूल्य नहीं मिल पाएगा। जबकि सरकार मौखिक रूप से कह रही है कि एमएसपी से कम दाम पर खरीद नहीं होगी। यदि ऐसा है तो इस बात को बिल में लाने में सरकार को क्यों दिक्कत हो रही है। सरकार इस बात को बिल में लेकर आए। ताकि किसान अपनी फसल की सही कीमत को लेकर आशंकित न हों। 

प्रगतिशील कृषक कृष्ण बहादुर सिंह लौना ने कहा कि सरकार आय दोगुनी करने का वादा करती है लेकिन कृषि क्षेत्र में लगातार बढ़ रही लागत से किसान की कमर टूट रही है। लागत के अनुपात में उत्पाद की कीमत नहीं बढ़ने से किसान परेशान हैं। खाद, बीज, डीजल, कीटनाशक आदि समस्त वस्तुओं के दाम लगभग दोगुने हो चुके हैं। लेकिन किसान की आय दोगुनी होना केवल सपना ही है। सरकार को चाहिए कि बिल में प्रवधान करे कि पूरे भारत में कृषि उत्पादों के दाम समान किए जाएं और मूल्य नियंत्रण प्रणाली लाई जाए जिसमें प्रावधान किया जाए कि कृषि उत्पादों को निर्धारित कीमत से कम पर नहीं खरीदा जाएगा। 

भारतीय किसान यूनियन के जिला उपाध्यक्ष शत्रुघ्न सिंह कुंवरपुरा ने कहा कि बिल में प्रावधान किया गया है कि कोई समस्या होने पर किसान कोर्ट नहीं जा सकेंगे बल्कि प्रशासनिक अधिकारी किसानों की समस्या का समाधान करेंगे। यह बात किसानों के हित में नहीं है। यदि विक्रेता किसान और क्रेता व्यापारी के बीच कोई विवाद होता है तो किसानों अपनी समस्या को कोर्ट में प्रस्तुत कर सके इस बात का प्रावधान बिल में होना चाहिए। यदि उक्त समस्याओं का समाधान कर दिया जाता है तो किसान इस बिल के साथ हैं। यदि किसानों की समस्या का समाधान नहीं होता है तो किसान आंदोलित होते रहेंगे। इस मौके पर रामराजा सिंह निरंजन, प्रकाश नारायण उर्फ लल्ला तिवारी आदि मौजूद रहे।

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