अफगानिस्तान में लोकतंत्र की एक शर्मनाक हार: मनोज गुप्त


इस वक्त तालिबान दुनिया का सबसे शक्तिशाली आतंकवादी संगठन बन चुका है, जिसके पास अपनी एक पूरी की पूरी सेना है। यहां तक कि एयरफोर्स भी है। साल 2002 में अमेरिका ने अफगानिस्तान में एक एयरफोर्स बनाई थी जिसका काम तालिबान से जंग लड़ना था। इस एयरफोर्स का नाम था अफगान नेशनल आर्मी एयर कॉर्प्स।


लेकिन 15 अगस्त 2021 को इस अफगान एयरफोर्स पर तालिबान का बहुत आसानी से कब्जा हो गया। तालिबानियों के कब्जे में आई इस अफगानी एयरफोर्स में 7 हजार 100 जवान हैं। तालिबान के कब्जे में अब 242 एयरक्राफ्ट हैं, जिनमें लड़ाकू विमानों का बेड़ा भी शामिल है। तालिबान को अमेरिका के द्वारा बनाया गया एयरफोर्स कमांड सेंटर भी मिल गया है, जो काबुल में है। भारत ने भी अफगान फोर्स को जंग करने के लिए अपने एमआई 35 अटैक हेलिकॉप्टर दिए थे, लेकिन अब इस पर भी तालिबान का कब्जा हो चुका है।


तालिबान के पास अब लड़ाकू विमानों का एक पूरा जखीरा है । तालिबान के पास निम्नलिखित एयरक्राफ्ट हैं -ब्राजील के बने हुए ए-29 सुपर अटैक एयरक्राफ्टअमेरिका में बने हुए एसी-208 हेलिकॉप्टरअमेरिका में ही बने हुए एमडी 500 डिफेंडर हेलिकॉप्टरएचएएल-चीता एयरक्राफ्ट, एमआई-8, एमआई-17 और बोइंग 727


रूसी कलाश्निकोव एके 47 बहुत लंबे समय तक आतंकवादियों की पहली पसंद थी। लेकिन तालिबान लड़ाकों के हाथ में अब अमेरिकी बंदूकें लग गई हैं। नाटो और अमेरिका की सेना एम 16 कार्बाइन राइफल प्रयोग करती है। अमेरिका की ये बंदूकें ज्यादा अच्छा निशाना लगाती हैं और इनकी फायरिंग रेंज भी एके 47 से अधिक है।



अफगानिस्तान में अमेरिका ने जिस शर्मनाक तरीके से सरेंडर किया है। उसे जानकर अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन को पूरी दुनिया में शर्मिंदगी उठानी पड़ रही है। अमेरिका ही नहीं पूरी दुनिया के अखबारों में बाइडेन की कड़ी आलोचना की गई है। पूरे घटनाक्रम पर नजर डालें तो अमेरिका इस लड़ाई में बुरी तरह से नाकाम साबित हुआ है। लेकिन इसका खामियाजा पूरे एशिया को भुगतना पड़ सकता है। खासतौर पर भारत को, क्योंकि तालिबानी लड़ाकों का कार्य लड़ना है, उनका मकसद पूरी दुनिया पर राज करना है।


अब या तो वह पाकिस्तान में जाकर पख्तूनिस्तान बनाने के लिए लड़ेगे हालांकि इसकी उम्मीद सिर्फ एक फीसदी ही है। यदि समझा जाए तो इनका पहला निशाना कश्मीर ही होना चाहिए। हालांकि तालिबान ने कुछ दिन पहले ही बयान दिया था कि कश्मीर, भारत और पाकिस्तान का आपसी मामला है। तालिबान अगर सत्ता में आता है तो वह इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करेगा। वैसे पाकिस्तान की भी पूरी कोशिश रहेगी कि तालिबान के कंधों पर अपनी बंदूक रखकर निशाना भारत पर लगाया जाए। इसीलिये भारत को अब हर परिस्थिति से निपटने के लिए चौकन्ना रहना चाहिए।


इस लेख के लेखक मनोज गुप्त सुरभि संदेश के प्रबंध संपादक हैं।

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