फोटो : नए संसद भवन की प्रस्तावित डिजायन
जालौन। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बीती 10 दिसंबर को नए संसद भवन का शिलान्यास किया गया। हालांकि शीर्ष अदालत ने लंबित याचिकाओं की वजह से मात्र शिलान्यास की अनुमति दी थी। याचिकाओं के निपटारे तक निर्माण कार्य को मंजूरी नहीं दी गई है। सुरभि संदेश में जानते हैं कि वर्तमान संसद भवन के होते हुए नए संसद भवन की क्यों आवश्यकता है। नए संसद भवन में क्या खास विशेषताएं होंगी। साथ ही वर्तमान संसद भवन के बारे में भी जानने का प्रयास करेंगे।
बता दें, भारतीय संसद भवन वास्तुकला का उत्कृष्ट नमूना पेश करती है। यह दुनियां के सभी संसद भवनों से बड़ा है। मौजूदा इमारत ब्रिटिश युग की इमारत है, जिसे एडविन लुटियंस और हर्बर्ट बेकर द्वारा डिजाइन किया गया था, जो नई दिल्ली की योजना और निर्माण के लिए जिम्मेदार थे। मौजूदा संसद भवन का नींव का पत्थर 12 फरवरी, 1921 को रखा गया था। इसके निर्माण में छह साल लगे थे। उस समय संसद भवन की लागत 83 लाख रुपये आई थी। उद्घाटन समारोह 18 जनवरी, 1927 को भारत के तत्कालीन गवर्नर जनरल लॉर्ड इरविन द्वारा किया गया था।
कई बार बनी और तबाह हुई दिल्ली का पहला प्रामाणिक इतिहास आठवीं शताब्दी से मिलता है। उस वक्त दिल्ली पर राजा अनंगपाल तोमर का शासन था। अनंगपाल तोमर की सत्ता उनके बनाए गए लाल कोट किले से चलती थी। तमाम इतिहासकार इसी को वास्तविक लाल किला मानते हैं।
इसके बाद पृथ्वीराज चैहान और सल्तनत काल का एक लंबा दौर गुजरा, लेकिन दिल्ली भारत की सत्ता का केंद्र बनी रही। मुगल बादशाह शाहजहां ने अपने साम्राज्य को चलाने के लिए लाल किले का निर्माण कराया। 1857 के गदर में अंग्रेजों से हारने और बंदी बनाकर बर्मा भेजे जाने तक अंतिम मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर इसी लाल किले से अपनी सत्ता चलाते रहे। इसके बाद कुछ वक्त तक अंग्रेजी राज की राजधानी कोलकाता रही, लेकिन 12 दिसंबर 1911 को किंग जॉर्ज पंचम ने दिल्ली को फिर से भारत की राजधानी बना दिया।
रायसिना हिल्स पर मौजूद इमारतों का निर्माण 1911 से 1931 के बीच हुआ था, इसी अवधि में संसद भवन भी बनाया गया था। उस वक्त इन इमारतों को वायसरॉय और उनके सचिवालय के लिए तैयार किया गया था। देश के आजाद होने यानी 1947 तक अंग्रेजी हुकूमत इन्हीं इमारतों के जरिए चली। राजपथ के इर्दगिर्द मौजूद कई इमारतों को अलग-अलग चरणों में मंत्रालयों और विभागों की जरूरतों के हिसाब से बनाया जाता रहा। संसद भवन की मौजूदा इमारत 560 फीट व्यास की एक विशाल गोलाकार इमारत है। वर्तमान संसद भवन एक सजावटी लाल बलुआ पत्थर की दीवार या लोहे के गेट से घिरा हुआ है, जिसे अवसरों की मांग के अनुसार बंद किया जा सकता है। भवन में कुल बारह द्वार हैं। द्वार नंबर 1 मुख्य द्वार माना जाता है।
- भारत में पहली बार संसदीय चुनाव 1951 में हुए थे। उस वक्त लोकसभा की 489 सीटें थीं। आज लोकसभा में 543 सदस्य हैं और राज्यसभा सदस्यों की संख्या 245 है। 2021 में प्रस्तावित जनगणना और 2026 में परिसीमन के बाद सदस्यों की संख्या और बढ़ जाएगी। नया परिसीमन इसलिए भी जरूरी बताया जा रहा है क्योंकि इस वक्त एक सांसद करीब 25 लाख की आबादी का प्रतिनिधित्व कर रहा है।
- नई इमारत बनाने का एक महत्वपूर्ण कारण यह भी है कि अभी सभी मंत्रालयों के ऑफिस अलग-अलग जगहों पर हैं। इस वजह से तालमेल में दिक्कतें आती हैं। नए भवन निर्माण में सुनिश्चित किया जाएगा कि सभी ऑफिस एक ही जगह पर हों।
- एक अन्य कारण यह भी है कि मौजूदा संसद भवन को बने करीब सौ साल का समय पूरा होने जा रहा है। इसमें कई जगहों पर मरम्मत की जरूरत है। जिसमें कई चीजों में सुधार की दरूरत है। इसके अलावा मौजूदा संसद भवन भूकंपरोधी भी नहीं है। ऐसे में सरकार ने नया संसद भवन बनाने का फैसला लिया है।
- ‘सेंट्रल विस्टा’ प्रोजेक्ट के तहत नया संसद भवन मौजूदा संसद भवन के पास ही बनना प्रस्तावित है। नया संसद भवन हर मामले में विश्व की सबसे आधुनिक इमारत के तौर पर तैयार किया जाएगा। यह एक तिकोनी इमारत होगी जबकि मौजूदा संसद भवन वृत्ताकार है। नई इमारत देश की सांस्कृतिक विविधता का प्रदर्शन करेगी। उम्मीद है कि आजादी की 75 वीं वर्षगांठ 2022 में नए संसद भवन में आयोजित होगी।
- नई इमारत करीब 64,500 वर्ग मीटर में फैली होगी जो मौजूदा संसद भवन से 17,000 वर्ग मीटर अधिक है। इसके निर्माण पर 971 करोड़ रुपये खर्च होंगे। साथ ही नई इमारत पूरी तरह भूकंपरोधी होगी।
-नए संसद भवन की लोकसभा में 888 सीटें होंगी। 336 आगंतुकों के बैठने की व्यवस्था की जाएगी। इसके अलावा नई राज्यसभा में 384 सीटें होंगी और आगंतुकों के लिए 336 सीटों की व्यवस्था की जाएगी। फिलहाल लोकसभा में 590 व राज्यसभा में 280 लोगों के बैठने की जगह है।
- नए भवन में सभी सांसदों को अलग दफ्तर दिया जाएगा। जिसमें सभी आधुनिक डिजिटल सुविधाएं होंगी। ताकि ‘पेपरलेस (बिना कागजी कार्य के) दफ्तरों’ के लक्ष्य की ओर बढ़ा जा सके।
- नई इमारत में एक भव्य संविधान हॉल होगा। जिसमें भारत की लोकतांत्रिक विरासत को दर्शाया जाएगा। इस हाॅल में भारत के संविधान की मूल प्रति को भी रखा जाएगा।
- नई इमारत में आधुनिक सुख सुविधाओं से परिपूर्ण ऑफिस बनाए जाएंगे। साथ ही सांसदों के बैठने के लिए बड़ा हॉल, एक लाइब्रेरी, समितियों के लिए कई कमरे, भोजन कक्ष और बहुत सारी पार्किंग की जगह होगी।
- नए संसद भवन के निर्माण के साथ ही राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक तीन किलोमीटर लंबे राजपथ को भी नया रूप दिया जाएगा।
- संसद भवन की नई इमारत बनने के बाद मौजूदा संसद भवन का संरक्षण किया जाएगा, क्योंकि यह देश की पुरातात्विक संपत्ति है। इसे पुरातत्व धरोहर में बदला जा सकता है। बाकी संसदीय कार्यक्रमों में भी इसका इस्तेमाल किया जाएगा।
- रायसीना हिल पर राष्ट्रपति भवन के सामने स्थित साउथ ब्लॉक में प्रधानमंत्री कार्यालय और विदेश मंत्रालय जबकि नॉर्थ ब्लॉक में गृह मंत्रालय और वित्त मंत्रालय जैसे महत्वपूर्ण महकमे संचालित होते हैं। नया संसद भवन बनने के बाद नार्थ व साउथ ब्लॉक को संग्रहालय में परिवर्तित किया जाएगा।
- साउथ ब्लाॅक संग्रहालय में 1857 से पहले की ऐतिहासिक विरासत को संजोया जाएगा, जबकि नॉर्थ ब्लॉक संग्रहालय में 1857 से 1947 तक जंग ए आजादी के इतिहास की यादें ताजा की जा सकेंगी। संग्रहालय में तब्दील होने के बाद नॉर्थ ब्लॉक और साउथ ब्लॉक में भारत के आधुनिक इतिहास की जीवंत तस्वीर का लोग दीदार कर सकेंगे।
नए संसद भवन का नक्शा गुजरात के आर्किटेक्ट विमल पटेल ने तैयार किया है। इससे पहले वह गुजरात हाई कोर्ट, आईआईएम अहमदाबाद, आईआईटी जोधपुर, अहमदाबाद का रिवरफ्रंट प्रोजेक्ट, आरबीआई अहमदाबाद जैसी इमारतों के डिजाइन तैयार कर चुके हैं। इसके लिए उन्हें पद्मश्री से भी सम्मानित किया जा चुका है।
संसद भवन की नई इमारत के निर्माण का ठेका टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड को सौंपा गया है। सितंबर 2020 में इसके लिए बोलियां लगाई गई थीं। नई संसद पार्लियामेंट हाउस स्टेट के प्लॉट नंबर 118 पर बनाई जाएगी। ‘सेंट्रल विस्टा’ प्रोजेक्ट के तहत संसद भवन की नई इमारत के अलावा इंडिया गेट के आसपास 10 और बिल्डिंग बनाई जाएंगी, जिनमें 51 मंत्रालयों के ऑफिस होंगे।