पुलिस उत्पीड़न रोकने और पुलिस की कार्यशैली को जनमित्र के रूप में बनाने के लिए शिक्षक समाजसेवी 5 हजार लोगों के सुझाव पत्र मुख्यमंत्री समेत पुलिस अधिकारियों को भेज रहे हैं ताकि बदलाव की शुरूआत हो सके

फोटो परिचय: शिक्षक व समाजसेवी धीरज बाथम

जालौन। पुलिस के लोगों के मन में व्याप्त डर को दूर करने एवं पुलिस की कार्यशैली में परिवर्तन लाने के उद्देश्य से समाजसेवी व शिक्षक धीरज बाथम आगे आए हैं। वह उक्त इन व्यवस्थाओं में परिवर्तन लाने के उद्देश्य से सुझाव संबंधित 5 हजार व्यक्तियों के हस्ताक्षरयुक्त पत्र एकत्रित कर उन्हें मुख्यमंत्री समेत आईजी और डीआईजी को भेजेंगे। इसके लिए वह लोगों से पत्रक पर हस्ताक्षर अभियान चला रहे हैं।

      समाजसवी व शिक्षक धीरज बाथम ने बताया कि भारत में पुलिसिया कार्यशैली अंग्रेजों से उधार ली गई है। यही कारण है कि वर्तमान में पुलिस की जो कार्यशैली है वह जनता को हतोत्साहित करने वाली है। पुलिस को लेकर आम नागरिकों के मन में एक डर बना रहता है। जिसके चलते लोग अपनी शिकायत करने तक में पुलिस के पास जाने से संकोच करते हैं। ऐसी घटनाएं आए दिन सामने आती हैं कि जब किसी घटना में बच्चे के सामने पुलिस कर्मी उसके पिता को पीटना शुरू कर देते हैं। मां बहिन की गालियां देना तो पुलिस कर्मियों के लिए आम बात है। बाजार में रिक्शा व ठिलिया चालकों पर डंडे चलाना और उन्हें गालियों देना जब तक दिखता रहता है। इतना ही नहीं वयोवृद्ध नागरिक अथवा युवाओं को थप्पड़ मार देना भी इनमें शामिल है। ऐसी स्थिति को जब आम नगारिक देखता है तो पुलिस के प्रति उसके मन में डर ही उत्पन्न होता है।

      इसका कारण भी है कि पुलिस की कार्यशैली में इन पुलिस कर्मियों पर दबाव भी रहता है। पुलिस कर्मियों से 18-18 घंटे तक की ड्यूटी ली जाती है। उच्च अधिकारियों और जन प्रतिनिधियों का भी दबाव रहता है। वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा कनिष्ठ अधिकारियों से सीधे मुंह बात नहीं की जाती है। इससे पुलिस कर्मियों के व्यवहार में चिड़चिड़ापन आना स्वभाविक ही है और इसी की परिणिती आम नागरिकों के साथ अभद्रता से होती है। लेकिन इस स्थिति को दूर कैसे किया जाए इस पर विचार करने की जरूरत है। इसके लिए पुलिस कर्मियों को मोटीवेशनल सेशन अटैंड कराए जाएं। ताकि वह किसी अनावश्यक तनाव से निपटने में सक्षम हो सकें।

      यदि संभव हो सके तो पुलिस कर्मियों के काम के घंटे निर्धारित किए जाएं। इसके अलावा सोशल मीडिया अथवा एप के माध्यम से आम नागरिकों से पुलिस कर्मियों के व्यवहार से संबंधित फीडबैक भी प्राप्त किया जाए। यदि कोई पुलिस कर्मी अच्छा कार्य कर रहा है तो उसका उत्साहवर्धन करते हुए उसे सम्मानित एवं पुरस्कृत किया जाए ताकि अन्य भी प्रेरणा पा सकें। जो पुलिस कर्मी स्वयं को कानून से ऊपर मानकर आम नागरिकों के साथ अभद्र व्यवहार करें अथवा यह उनकी आदम में शुमार हों ऐसे पुलिस कर्मियों को हमेशा के लिए सिविल पुलिस (सीपी) से हटा दिया जाए और उन्हें आम्र्ड पुलिस (एपी) में तैनाती दी जाए।

      पुलिस व्यवस्था में आमूल चूल परिवर्तन के लिए वह नगर व क्षेत्र में लोगों से मिलकर उक्त सुझावों से संबंधित पेपर पर उनके हस्ताक्षर करा रहे हैं। कम से कम 5 हजार व्यक्तियों के हस्ताक्षर कराने का लक्ष्य है। अलग अलग पेपर पर इन हस्ताक्षरयुक्त 5 हजार सुझाव पत्रों वह अपनी ओर से मुख्यमंत्री समेत आईजी और डीआई को प्रेषित करेंगे। ताकि यदि पुलिसिंग में बदलाव आ सके तो आम नागरिक पुलिस के मन में समाया डर दूर हो सकेगा और पुलिस की कार्यशैली में बदलाव होने पर लोगों को पुलिस से मिलने के लिए किसी दलाल अथवा सिफारिशी से मिलने की आवश्यकता नहीं होगी। 

Comments
* The email will not be published on the website.
I BUILT MY SITE FOR FREE USING