जालौन। वैसे तो पूरे देश और प्रदेश में कांग्रेस की क्या स्थिति है, यह किसी से छिपा नहीं है। वहीं, एक के बाद एक जिला कांग्रेस के नेताओं पर जो आरोप लग रहे हैं। उसे पार्टी की ही छवि को धक्का पहुंच रहा है। ताजा मामला कांग्रेस के पूर्व जिलाध्यक्ष व पूर्व विधायक विनोद चतुर्वेदी के बेटे से जुड़ा है। उन पर किराए पर दिए गए रेस्टोरेंट को हड़पने का आरोप लगा है। पुलिस द्वारा पीड़ित की शिकायत न सुनने पर पीड़ित पक्ष ने न्यायालय का सहारा लिया और अब न्यायालय के आदेश पर पूर्व विधायक के बेटे सहित अन्य आरोपियों के खिलाफ कोतवाली उरई में धोखाधड़ी का मामला दर्ज हो चुका है। पुलिस मामले की जांच कर रही है।
जिले में कांग्रेस की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है। पता नहीं क्यों कांग्रेस पराए माल को अपना समझने की भूल कर बैठती है। पराए माल को अपना समझने की भूल के चलते ही कांग्रेस के शासन काल में एक से बढ़कर एक घोटालों के आरोप लगे थे। जिसका परिणाम यह हुआ कि आज कांग्रेस को अपना वजूद बचाने के लिए संघर्ष करना पड़ा रहा है। लेकिन भूल के बाद सुधार आ जाए तो गलती को माफ भी किया जा सकता है। लेकिन शायद कांग्रेसियों का यह चरित्र ही हो चुका है कि वह भूल सुधार को तैयार नहीं दिख रहे हैं।
हाल ही में कुछ दिन पूर्व कांग्रेस के वर्तमान जिलाध्यक्ष पर लगे छेड़छाड़ और सरे राह सड़क पर युवतियों द्वारा पिटाई करने का मामला ठंडा भी नहीं हुआ है कि एक नया मामला सामने आ गया है इस बार यह मामला धोखाधड़ी का है। पूर्व विधायक व पूर्व कांग्रेस जिलाध्यक्ष के बेटे की चालबाजी का शिकार हुए उरई कोतवाली क्षेत्र के मोहल्ला गणेशगंज उरई निवासी जितेंद्र कुमार गुप्ता पुत्र सुरेशचंद्र गुप्ता ने बताया कि स्टेशन रोड उरई पर विनोद चतुर्वेदी के पुत्र आशीष चतुर्वेदी निवासी इंदिरा नगर उरई का मनोकमल नाम से होटल है। दो वर्ष पूर्व इसी होटल के एक हाॅल में उन्होंने लजीज रेंस्टोरेंट खोला था। रेस्टोरेंट खोलने के लिए उन्होंने 5 वर्षों के लिए रजिस्टर्ड किराएनामे पर उक्त हाॅल को किराए पर लिया था। उन्हें होटल में सिर्फ हाॅल मिला था। बाद में उन्होंने लाखों रुपये खर्च कर उसे रेस्टोरेंट के रूप में परिवर्तित किया और इंटीरियर, फिटिंग, एल्यूमिनियम वर्क, किचन क्राॅकरी, फर्नीचर आदि अपने रुपयों से बनावाया। इसके बाद बीते दो वर्षों से वह ही रेस्टोरेंट संचालित कर रहे थे और किराएनामे के अनुसार हर माह होटल प्रबंधक आशीष चतुर्वेदी को किराया भी अदा कर रहे थे। लगभग 12 माह पूर्व अचानक उनका स्वास्थ्य खराब हो गया और इलाज के लिए उन्हें बाहर रहना पड़ा। जिसके चलते वह रेस्टोरेंट में समय नहीं दे सके।
जितेंद्र की बीमारी का फायदा उठाकर आशीष चतुर्वेदी ने अपने साथी सौरभ त्रिपाठी पुत्र सत्यनारायण निवासी कोंच स्टैंड उरई व अशोक त्रिपाठी पुत्र अज्ञात निवासी कोंच बस स्टैंड के पीछे उरई ने मिलकर रेस्टोरेंट हड़पने का षड्यंत्र किया और कूटरचित दस्तावेज तैयार कर धोखाधड़ी करके उनके रोस्टेरेंट पर अवैध रूप से कब्जा कर लिया। पहले उन्हें लगा कि शायद वह बीमार हैं तो मदद करने के उद्देश्य से वह रेस्टोरेंट की देखभाल कर रहे हैं। लेकिन जब उन्हें जानकारी हुई कि उन्होंने रेस्टोरेंट पर कब्जा कर लिया तो वह रेस्टोरेंट पहुंचे और वहां मौजूद सौरभ त्रिपाठी से पूछतांछ की तो वहां आशीष आ गए और बताया कि वह परेशान न हों बैठकर मामले को सुलझा लेंगे। लेकिन कोई जबाव नहीं आया इसके बाद 3 दिसंबर 2019 को आशीष ने उनके पार्टनर किशन मारवाड़ी के साथ उन्हें होटल में बुलाया। जब वह होटल में पहुंचे तो वहां आशीष के साथ सौरभ व आशोक भी मौजूद थे। जब उसने आशीष को रेस्टोरेंट के देने के लिए कहा तो वह पिता की धमकी देने लगे और कहा के उनके पिता बड़े नेता है विधायक भी रह चुके हैं। बताया कि उन्होंने मिलकर षड्यंत्र के तहत कूटरचित दस्तावेज तैयार कर उनके रेस्टोरेंट को हड़प लिया है। अब उन्हें जो करना हो कर लें। पिता की हैसियत को देखते हुए पुलिस भी उनका कुछ नहीं कर सकती है।
पीड़ित रेस्टोरेंट संचालक जितेंद्र गुप्ता का आरोप है कि उन्होंने इस मामले की शिकायत उरई कोतवाली में भी की थी। लेकिन आशीष के पिता की राजनैतिक पहुंच के चलते उन्हें कोतवाली से भगा दिया गया और उनकी रिपोर्ट तक नहीं लिखी गई। एसपी से भी गुहार लगाई लेकिन कोेई नतीजा नहीं निकला। जिसके बाद मजबूरी में उन्हें न्यायालय की शरण लेनी पड़ी। उन्हें उम्मीद है कि उनके साथ न्याय होगा।
उक्त मामले मंे जानकारी के अनुसार न्यायालय के आदेश पर उरई कोतवाली में आशीष चतुर्वेदी, सौरभ त्रिपाठी, अशोक त्रिपाठी व किशन मारवाड़ी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 323, 406, 420, 467, 468, 471, 504, 506 के तहत प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है। मामले की जांच कर रहे एसआई रामवीर सिंह ने बताया कि प्राथमिकी दर्ज हो चुकी है जांच के बाद उचित कार्रवाई की जाएगी। बहरहाल कानून तो अपना काम करेगा लेकिन कांग्रेसियों के खिलाफ लगातार लग रहे इस प्रकार के आरोप निश्चित पार्टी के लिए अच्छा संकेत नहीं है। पार्टी के पदाधिकारियों को इस स्थिति का संज्ञान लेना चाहिए और पार्टी की डुबिया लुटोने में लगे कार्यकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई कर सख्त संदेश देना चाहिए। अन्यथा पार्टी की बची खुची शाख पर भी बट्टा लगना तय है।