कांग्रेस जिलाध्यक्ष के साथ हुई घटना पर मंथन -जावेद अख्तर

क्या समाज में जनता के प्रतिनिधि होने का दावा ठोंकने वाले राजनेताओं अपनी पद और प्रतिष्ठा का सम्मान नहीं रखना चाहिए, इस विषय पर चर्चा का यह उचित समय है.

जालौन।  ‘सुरभि संदेश’ हमेशा से ही सदाचरण और महिला सम्मान की बात करता रहा है। ‘सुरभि संदेश’ महिलाओं के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए और समाज को महिलाओं को सम्मान दिलाने के लिए प्रयत्नशील रहा है। हमारे मूर्धन्य विद्वानों ने उचित ही कहा है कि अच्छा साहित्य हर घर में पढ़ा जाना चाहिए। जिसका असर निश्चित ही घर के सदस्यों पर पड़ता है। ईश्वर का ध्यान भी इसी उद्देश्य से किया जाता है कि मन को संबल मिलता रहे और गलत कामों के प्रति मानव के मन में डर बना रहे। जब इससे हटकर कोई कार्य किया जाता है तो विनाश और अपमान निश्चित ही है। यहां चर्चा का उद्देश्य उरई में कांग्रेस जिलाध्यक्ष अनुज के बारे मंे सही और गलत का फैसला सुनाने का नहीं है 

        बल्कि जिस परिपेक्ष्य में इस घटना का जन्म हुआ है उसका आंकलन करना है। घटना के बाद दोनों ही पक्ष एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। लोग भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो का जमकर लुत्फ उठाने में मगन हैं। कोई जिलाध्यक्ष पर जूती बरसाने वाली युवतियों को वीर बालाओं से संबोधित कर रहा है। तो कोई जिलाध्यक्ष को किसी षड्यंत्र में फंसाने की बात कह रहा है। जहां युवतियां जिलाध्यक्ष पर उन्हें फोन पर तंग करने की बात कह रही हैं वहीं, जिलाध्यक्ष युवतियों के परिजनों को घर बनवाने के लिए लगभग 3 लाख रुपये देने के बाद रुपये न लौटाने की बात कह रहे हैं। इन आरोपों और प्रत्यारोपों में क्या सच्चाई है यह तो ईश्वर ही जानता है अथवा दोनों पक्ष। और यदि मामला पुलिस और कोर्ट कचहरी तक पहुंचता है सच्चाई जांच के बाद ही सामने आ पाएगी। यदि कांग्रेस जिलाध्यक्ष द्वारा युवतियों पर लगाए गए आरोपों में सच्चाई है तो एक भले व्यक्ति को इस प्रकार की मानसिक व शारीरिक प्रताड़ना के लिए युवतियों को दोषी ठहराकर उन्हें दंडित किया जाना न्यायसंगत है। 

    लेकिन यदि युवतियों द्वारा कांग्रेस जिलाध्यक्ष पर लगाए गए आरोप सत्य हैं तो यह न सिर्फ हमारे समाज के लिए अभिशाप है बल्कि राष्ट्रीय स्तर की एक ऐसी पार्टी जो मुख्य विपक्षी दल होते हुए भी अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही है, उसके लिए पार्टी जिलाध्यक्ष का इस प्रकार का आचरण कोढ़ में खाज के समान है। हाल ही में हुए हाथरस कांड को लोग भूले नहीं हैं। हाथरस कांड को लेकर कांग्रेस पार्टी ने किस प्रकार हाय तौबा मचाई थी। यह किसी से छुपा नहीं है। (यहां उद्देश्य कांग्रेस पार्टी की मंशा पर सवाल खड़े करना नहीं है) देश के प्रधानमंत्री पद के दावेदार राहुल गांधी और उनकी बहन प्रियंका गांधी वाड्रा ने प्रदेश में महिलाओं की स्थिति को लेकर योगी नीति प्रदेश की भाजपा सरकार पर जमकर प्रहार किए थे। जिस पार्टी का पूरा अभियान ही महिलाओं के सम्मान के प्रति था, उसी पार्टी के नुमाइंदे जो इस पूरे जिले का प्रतिनिधित्व करते हैं और जिले के लिए पार्टी का चेहरा हैं, उनका यह आचरण निश्चित ही शर्मिंदा करने वाला है। इसकी जितनी निंदा की जाए कम ही है। हालांकि यह भी सही है कि उक्त घटना के बाद मचे सियासी हंगामे के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महिलाओं अपराधों को लेकर कड़े फैसले किए। जिसमंे मिशन शक्ति अभियान, थानों में महिला हेल्प डेस्क खुलवाना प्रमुख हैं।  

    यहां मजेदार बात यह है कि इन्हीं कांग्रेस जिलाध्यक्ष ने हाथरस कांड को लेकर जिला मुख्यालय पर धरना प्रदर्शन कर पीड़िता को न्याय दिलाने की बात की थी और महिलाओं के प्रति यौन अपराध करने वालों को सरेआम फांसी पर लटकाने की मांग की थी। क्या आप बताएंगे इस प्रकार की स्थिति क्या हमारे दोहरे चाल, चरित्र और चिंतन को नहीं दर्शाती है। इस बात का जिक्र मैं अपने पिछले लेख (नारी की पूजा करने वाले देश में क्यों होते हैं बलात्कार, पूरा लेख पढ़ने के लिए इसे छुएं) में भी कर चुका हूं। लेकिन यहां मुझे फिर वही बात दोहरानी पड़ेगी, बात कटु लेकिन सौ फीसदी सत्य है कि हम भले ही लोगो को दिखाने और सुनाने के लिए मुंह से आदर्शवादी बात करें। लेकिन जब अपनी गिरहबान में झांककर देखते हैं तो हमाम में सभी वस्त्र विहीन खड़े नजर आते हैं। 

    कहने का आशय आप भली भांति समझ रहे होंगे कि हमारी आंतरिक सोच में विपरीत देह के प्रति आकर्षण की जो गंदगी भरी हुई है, वह बाहर नहीं निकली है। और इस गंदगी को बाहर निकालना भी लगभग असंभव सा ही है। हां यह भी सत्य है कि ईश्वर ने विपरीत देह के प्रति जो आकर्षण हमारे अंदर पैदा किया है वह सृष्टि को चलायमान किए है। यदि विपरीत देह के प्रति आकर्षण न हो तो सृष्टि थम जाएगी। इसी आकर्षण की वजह से पुरूष और स्त्री के मिलन के पश्चात् संतान की उत्पत्ति होती है। लेकिन यह सृष्टि चलाने के लिए एक आवश्यक प्रक्रिया भर है न कि मौज, मस्ती और आनंद का साधन। तभी तो हमारे पूर्वजों ने विवाह जैसे संस्कार को जन्म दिया। ताकि यह प्रक्रिया एक शुद्ध वातावरण में संपन्न हो सके। यह सिर्फ हिंहू धर्म की ही बात नहीं है बल्कि संसार में कोई भी धर्म हो हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन, पारसी सभी में विवाह नामक संस्कार मौजूद है। ताकि समाज मंे व्यभिचार को स्थान न मिल सके।

    समाज की मान्यताओं के अनुसार किए गए कार्य समाज में स्वीकार्य हैं। यदि आपने समाज की मान्यताओं के विपरीत कोई कार्य किया तो इसके लिए कानून नामक संस्था बनाई गई है। माना कि विपरीत देह के प्रति आकर्षण स्वभाविक है लेकिन समाज की मान्यताओं के अनुसार उस पर काबू पाना हमें सीखना चाहिए। यह भी माना कि इस आकर्षण से पार पाने का जो रास्ता है वह काफी दुरूह है। इस आकर्षण से हजारों वर्षों तक तक तप करने वाले साधु संत भी नहीं बच सके हैं, मुल्ला, मौलवी जो जन्नत पाने का ख्बाव संजोए थे उनकी जीवन भर की इबादत पल भर में खाक हो गई। यहां तक कि संत आशाराम, रामरहीम, रामपाल तक जेल की सलाखों के पीछे कैद नजर आ रहे हैं। ऐसे में हम और आपकी औकात ही क्या है। बस हमारी समझ से पूर्णतः सुरक्षित मौका मिलने की देर है, फिर देखिए हमारे और आपके अंदर का शैतान क्या क्या रंग दिखलाता है। इसके बाद क्या होता है इसकी परिणिती आप कांग्रेस जिलाध्यक्ष के मामले में देख ही चुके हैं। 

    इस सबके बावजूद ऐसा नहीं है कि विपरीत देह के प्रति इस आकर्षण पर काबू नहीं पाया जा सकता है। कुछ सिद्धातों का पालन कर विपरीत देह के प्रति इस आकर्षण को काफी हद तक काबू पाया जा सकता है। यह मानकर चलिए कि महिला के प्रति अशालीन व्यवहार, अभद्रता, घूरकर देखना, अश्लील इशारे करना, फब्तियां करना, अश्लील कमेंट करना तक भी कानूनन अपराध की श्रेणी मंे आता है। और महिलाओं के प्रति इस प्रकार के कृत्य अथवा इससे बढ़कर छेड़खानी, यौनांगों के साथ छेड़छाड़ अथवा दुष्कर्म आदि इनमें से सभी संसार के निकृष्टम कर्मों में माने जाते हैं। यहां तक कि आपके घर में मां, बेटी, पत्नी, बहू, भाभी, बहिन तक की नजरों से आप गिर जाएंगे। महिलाओं या युवतियों के साथ होने वाले घिनौने अपराध के अलावा आप किसी से मार खाकर आ जाएं तो आप सहानुभूति के पात्र होंगे। अपने स्वाभिमान के लिए आप किसी की हत्या कर देते हैं तब भी लोग आपको नजरों से नहीं गिराते हैं। आप जुए में पकड़े जाते हैं तो लोग आपसे सामाजिक दूरी नहीं बनाते हैं। लेकिन यदि आप छेड़खानी और चोरी जैसी घटनाओं में लिप्त पाए जाते हैं तो लोग आपको आपने पास बैठाना तक पसंद नहीं करेंगे। 

    इस प्रकार के अपराध करने से पहले यदि आप एक बार उक्त चीजों के बारे मंे सोच लें, समाज मंे अपने स्थान के बारे में सोच लें और इस कृत्य में पकड़े जाने के बाद समाज मंे अपनी स्थिति के बारे मंे सोच लें, अपने घर और परिवार के बारे में सोच लें और अंत में ईश्वर का ध्यान मन में कर लें तो मेरा मानना है और अनुभव भी है कि आपके मन से गलत विचार निकल जाएंगे। संबंधित में आपको अपनी बहन, बेटी ही नजर आएगी। ध्यान रखें, समाज के किसी वर्ग की नुमाइंदगी करने वाले एवं सामाजिक अथवा सार्वजनिक गतिविधियों में रहने वाले अथवा किसी जिम्मेदार पद को संभालने वाले व्यक्ति का जीवन भी सार्वजनिक हो जाता है। लोग उनके आचरण से प्रेरणा लेने लगते हैं। उन्हें अपना आचरण और व्यवहार इस कदर शालीन रखना पड़ता है कि कोई उसकी ओर उंगली न उठा सके। लेकिन दुर्भाग्य से कांग्रेस जिलाध्यक्ष का मामला हो अथवा कुछ दिन पूर्व हुए भाजपा के नगर महामंत्री का मामला हो दोनों ही मामलों मंे प्रतीत होता है कि उक्त नेता अपनी मर्यादा और सार्वजनिक छवि को भूल गए और इसी का परिणाम है कि उन्हें सार्वजनिक जीवन मंे ऐसा अपमान झेलना पड़ा। 

युवती और कांग्रेस जिलाध्यक्ष के बीच हुई वार्ता का अंश, हालांकि सुरभि संदेश आवाज की पुष्टि नहीं करता है

    अंत में, देर रात मिली जानकारी के अनुसार प्रशासन ने इस मामले को गंभीरता से लिया है। युवतियों की शिकायत पर उरई कोतवाली में कांग्रेस जिलाध्यक्ष के खिलाफ छेड़छाड़ का मुकदमा दर्ज किया गया है और पुलिस कांग्रेस जिलाध्यक्ष से कोतवाली मंे पूछतांछ कर रही है।

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