नहीं चलेगा पत्रकारों पर पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों का उत्पीडन

फोटो परिचय: जालौन में तहसीलदार बलराम गुप्ता को ज्ञापन सौंपते नगर के पत्रकार

जालौन। पत्रकारों के साथ पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा अभद्रता कर उनका उत्पीड़न करने एवं पत्रकारों के खिलाफ फर्जी मुकदमे दर्ज कराने के विरोध में नगर के पत्रकारों ने जिलाधिकारी को संबोधित ज्ञापन तहसीलदार को सौंपा। जिसमें उन्होंने उक्त मामलों की जांच कराने एवं दोषियों के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई कराने की मांग की है।

     कोरोना संक्रमण के दौर में कोरोना योद्धा की भांति पत्रकार अपने दायित्वों को अंजाम दे रहे हैं। अपनी जान को जोखिम में डालकर पत्रकार लोगों तक जानकारी पहुंचा रहे हैं। पत्रकारों के समाज के प्रति दायित्वों के चलते ही पत्रकारों को लोकतंत्र के चैथे स्तंभ की संज्ञा दी गई है। ताकि वह अपनी लेखनी के माध्यम से समाज के प्रति अपने दायित्वों का बिना किसी भय के निर्वहन कर सकें। लोगों तक उनके हित की खबरों के साथ ही सरकार की नीतियों को आमजन तक पहुंचाने के अलावा जहां सरकार अथवा उनके नुमाइंदे कुछ गलत करते हैं तो उनकी गलतियों पर उनकी आलोचना एवं उनकी कमियों को जनता के बीच उजागर करने का कार्य पत्रकार भली भांति कर रहे हैं। 

        लेकिन कुछ पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों को पत्रकारों का यह दायित्व और कर्तव्य गले नहीं उतर रहा है। अपनी कमियों को छिपाने के लिए पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों ने पत्रकारों को निशाना बनाया है। उनके साथ अभद्र व्यवहार, फर्जी मुकदमे और अभद्र भाषा का प्रयोग कर उन्हें उनके दायित्वों से रोकने का प्रयास किया जा रहा है। ताकि पुलिस व प्रशानिक अधिकारियों की कमियां जनता और सरकार के बीच उजागर न हो सकें और सब कुछ चंगा है की तर्ज पर पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी अपनी बेललगाम गतिविधियों को संचालित कर सकें। 

     पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों की इसी तानाशाही के खिलाफ नगर के पत्रकारों में उपजा के तहसील अध्यक्ष महेश स्वर्णकार व अखिल भारतीय पत्रकार संघ के जिलाध्यक्ष अनुराग श्रीवास्तव के नेतृत्व में नगर के पत्रकारों ने जिलाधिकारी को संबोधित एक ज्ञापन तहसीलदार बलराम गुप्ता को सौंपकर बताया कि नगर में एसडीएम गुलाब सिंह ने कोरोना कफ्र्यू की कवरेज कर रहे पत्रकारों को न सिर्फ उनके काम से रोका बल्कि ध्वनि विस्तारक यंत्र पर सार्वजनिक रूप से उनके साथ अभद्र भाषा का भी प्रयोग किया। इसके अलावा एक वायरल रिकाॅर्डिंग में एसडीएम एक महिला के साथ भी अभद्र शब्दों का इस्तेमाल कर रहे हैं। एसडीएम की तानाशाही से नगर के पत्रकारों में काफी रोष व्याप्त है। 

        वहीं, उरई में मंडी चैकी इंचार्ज की लापरवाही को उजागर करने के मामले में उरई कोतवाली में अज्ञात पत्रकारों के खिलाफ न सिर्फ फर्जी मुकदमा दर्ज कराया गया बल्कि सीओ सदर द्वारा पत्रकारों के साथ अभद्रता भी की गई। इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में भी पत्रकारों के खिलाफ झूठे मुकदमे दर्ज किए गए हैं। जिसके चलते पत्रकारों में आक्रोश है। पत्रकारों ने मांग की है कि पत्रकारों की संवैधानिक स्वतंत्रता पर हमला करने वाले पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ निष्पक्ष जांच कराई जाए एवं दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। ताकि पत्रकार बिना किसी भय अथवा दबाव के अपने संवैधानिक दायित्वों को अंजाम दे सकें। 

           इस मौके पर गंगाराम चैरसिया, आलोक खन्ना, शाकिर हसन वारिसी, जितेंद्र सिंह सेंगर बब्लू महिया, विवेक मिश्रा, सुनील श्रीवास्तव, राकेश प्रजापति, बृजेश उदैनिया, धर्मेंद्र सिंह चैहान, राजेंद्र बाथम, जावेद अख्तर, पुष्पेंद्र यादव, महेश चैधरी, प्रदीप गुप्ता, पवन याज्ञिक, राहुल राजावत, आलोक शर्मा, कपिल सोनी, रामकेश साहू, रईस खान, ब्रह्मकिशोर श्रीवास्तव, भगवती शरण मिश्रा, अनुराग अग्रवाल, कौशल किशोर श्रीवास्तव, नीरज, अफजाल अहमद आदि मौजूद रहे।

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