पंचायत चुनावों को लेकर मतदाताओं का क्या है रूझान, जानें हकीकत: जावेद अख्तर

जालौन। प्रधान पद के चुनावों के लिए शनिवार की शाम प्रचार समाप्त हो चुका है। गांवों में लोगों से समस्याएं सुनने और प्रधान पद के दावेदारों में किस प्रकार का प्रत्याशी चुना जाएगा इसको लेकर जब ग्रामीणों से बात की गई तो लोगों ने खुलकर अपने विचारों को साझा किया।


     ब्लॉक क्षेत्र के ग्राम कुठौंदा बुजुर्ग में 1596 मतदाता हैं। इनमें महिला, पुरुष और युवा शामिल हैं। अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित गांव में प्रधान पद के लिए 7 दावेदार मैदान में हैं। इस गांव का दौरा करने पर एक स्थान पर कुछ लोग चुनाव पर चर्चा करते मिले। इनमें शामिल गजेंद्र सिंह सेंगर से बात की गई तो उन्होंने बताया कि वोट उसे ही दिया जाएगा जो गांव का विकास कराएगा। गांव में खेलकूद के मैदान के साथ ही पशुओं के पानी के लिए चरही की आवश्यकता है। इसके अलावा पिछले लगभग 15 वर्षों से गांव के तालाब की सफाई नहीं हुई है। गांव में सफाई कर्मी नियमित नहीं आता है। जो व्यक्ति इन समस्याओं के समाधान का प्रयास करेगा। उसे ही वोट किया जाएगा। अब जाति धर्म पर नहीं बल्कि विकास कराने वाले को ही वोट मिलेगा।


     कुंवरपुरा ग्राम पंचायत में नारायणपुरा मजरा भी जुड़ा है। इस गांव में 1411 मतदाता है। गांव की आबादी करीब 3 हजार है। यहां प्रधान पद अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है जिस पर 9 प्रत्याशी चुनावी मैदान में अपना भाग्य आजमा रहे हैं। गांव के अजय तिवारी उर्फ अंजू से बातचीत में उन्होंने बताया कि गांव में लगभग 12 बीघा क्षेत्रफल में तालाब बना है। इस तालाब से जहां किसानों को फसलों की सिंचाई के लिए पानी मिलता था वहीं गर्मी के मौसम में पशु पक्षी भी पानी पीने के लिए आते थे। लेकिन वर्ष 2014 से यह तालाब सूखा पड़ा है। इसके अलावा युवाओं के लिए खेलकूद के सामान और वाचनालय की आवश्यकता है। सभी मिलकर चर्चा कर रहे हैं। प्रत्याशियों से भी चर्चा चल रही है जो इन वादों को पूरा करेगा उसे ही वोट दिया जाएगा।


     लहचूरा गांव में लगभग 1300 मतदाता हैं। यहां प्रधान पद अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। इस गांव में पहुंचकर जब राहुल कुमार से बात की गई तो उन्होंने कहा कि प्रधान पद को उम्मीदवार तो पढ़ो-लिखो ही चुन हैंगे। काय से वाको योजनाओं की जानकारी हो सकै है। अगर प्रधान ही पढ़ो लिखो न हो तो वाको अपने अधिकार और कर्तव्य ही पता न चल हैं। ऐसे में गांव को विकास कैसे हुई है समझ लेओ। हालांकि सबई अपनी अपनी जीत के लानै जोड़ तोड़ कर रहे हैं। लेकिन मतदाता चुन हैं उसे ही जिसमें गुन अच्छे हों और सबको साथ लैके चल सके है। अब सब समझत हैं कि उनको हित काय में है। इसलिए अन्ना नहीं बल्कि खूब सोच समझ कै अपने वोट को प्रयोग कर हैं। ताकि बाद में पछताने न पड़ै।


     औरेखी गांव में 3462 मतदाता हैं गांव की आबादी लगभग 5 हजार है। गांव में घुसते ही समस्याओं का अंबार दिखा। गांव की मुख्य सड़क पर पानी भरा हुआ दिखाई पड़ा। नालियों की साफ सफाई व्यवस्था भी ध्वस्त दिखी। गांव में एक दुकान पर बैठे राकेश कुमार प्रजापति ने बताया कि गांव की हालत तो बहुतईं खराब है। सीट अनुसूचित जाति के लाने आरक्षित भई है 8 लोग दावेदारी कर रहे हैं। सबईं अपने को बेहतर बताके वोट दैवे के लाने कह रहे हैं। हम असमंजस में हैं के वोट किन्हें दें। हालांकि एक बात तो तय है जो पढ़ो लिखो होए और गांव में कछु विकास करावे की क्षमता राखे वई को वोट दें हैं। दो दिना बचे हैं अब तो परख रये। जो ठीक लग है वई के चुनाव निशान पै मोहर ठोक दें हैं। 


औरेखी गांव में प्रधान को लेकर बात करते ग्रामीण

Comments
* The email will not be published on the website.
I BUILT MY SITE FOR FREE USING