फादर्स डे पर नगर की बेटियां अपने पिता को लेकर क्या कहती हैं, जानें

जालौन । ‘फादर्स-डे’ एक ऐसा दिवस होता है, जब घर के बेटे या बेटियां अपने घर के मुखिया यानी ‘पिता’ को याद करते हैं। पिता घर का वह हिस्सा होता है, जो गम में अपनी आंखें कभी नम नहीं होने देता और खुशियों को साथ मिलकर बांटता है। पिता बिना किसी स्वार्थ के अपना पूरा जीवन अपने बच्चों की परवरिश में लगा देता है। पिता के अहसानों का बदला किसी भी कीमत पर नहीं चुकाया जा सकता। लेकिन ‘फादर्स-डे’ के मौके पर हम उनके प्रति अपने प्रेम को याद व उसका इजहार तो कर ही सकते हैं। पिता के प्रति अपनी श्रृद्धा को दिखाते हुए ‘फादर्स-डे’ के मौके पर नगर की बेटियों ने पिता के प्रति अपनी भावनाओं का इजहार कुछ यूं किया।


Haniya Shakil

     जालौन की यूट्यूबर हानिया शकील ने बताया कि पापा ही जिंदगी के पहले शख्स होते हैं जिनसे बच्चे को दुनिया और उनके अनुभव के बारे मंे पता चलता है। पापा, जो कभी मां का प्यार देते हैं, तो कभी शिक्षक बनकर गलतियों को बताते हैं, तो कभी दोस्त बनकर कहते हैं कि मैं तुम्हारे साथ हूं। हालांकि पापा अब मेरे साथ नहीं हैं। लेकिन मुझे उनकी बहुत याद आती है। इन ‘फादर्स-डे’ पर मैं अपने पापा से कहना चाहूंगी ‘आई मिस यू पापा।’


Maham Irfan

      मोहल्ला मुरलीमनोहर निवासी माहम इरफान बताती हैं कि दुनियां में पापा ही ऐसे शख्स होते हैं, जो चाहते हैं कि उनकी बेटी अपने जीवन खूब तरक्की करे। वरना लड़कियों को कौन आगे बढ़ते हुए देखना चाहता है। ऐसे में ‘फादर्स-डे’ के रूप में हम पापा को सम्मान दे सकते हैं। मैं खुशकिस्मत हूं कि मेरे हर कदम पर मेरे पापा मेरे साथ हैं। मैं कह सकती हूं कि मेरे पापा दुनियां के बेहतरीन पापा हैं।

 

Sanya Yadav

     मोहल्ला तोपखाना की सान्या यादव कहती हैं कि मां के चरणों में स्वर्ग होता है, मां बिना जीवन अधूरा है। लेकिन मां यदि जीवन की सच्चाई है, तो पिता जीवन का आधार। यदि मां बिना जीवन अधूरा है, तो पिता बिना अस्तित्व अधूरा है। जीवन तो मां से मिल जाता है, लेकिन जीवन के थपेड़ों से निपटना तो पिता से ही आता है। इस ‘फादर्स-डे’ पर मैं सिर्फ इतना कहना चाहूंगी आओ हम सब कुछ ऐसा करें जिससे हमारे पापा को हम पर गर्व हो।


Jagrati Udainiya

     खनुआं निवासी जागृति उदैनियां कहती हैं कि किसी भी बेटे या बेटी की पहली कामयाबी तब तक अधूरी है, जब तक कि उसके पिता आकर उसकी पीठ नहीं थपथपाते हैं। परंतु ‘फादर्स-डे’ के रूप में हमें पिता के लिए कुछ कहने का एक मौका जरूर मिला है। जब हम उनके प्यार, मदद और अपनेपन को महसूस कर उनसे यह कह सकें कि आज मैं जो भी हूं या आगे जो भी बनूंगी, वो आपके बिना संभव नहीं है।

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