जानें जालौन का कौन युवा बाॅलीवुड फिल्म इंडस्ट्री में नाम रोशन कर रहा है

जालौन। नगर से निकलकर मुंबई फिल्म इंडस्ट्री में गीतकार के रूप में पहचान बनाने वाले पंछी जालौनवी ने कोविड-19 महामारी के दौरान लाॅक डाउन के चलते अस्त व्यस्त हुई जिंदगी एक नए नजरिए से देखा है, जिसे उन्होंने नज्म के रूप में कागजों पर उकेरा है। इन नज्मों का प्रकाशन उनकी ‘दो सफर’ नामक पुस्तक में प्रकाशित किया गया है। जिसे लोग काफी सराह रहे हैं।
जालौन नगर के मोहल्ला बैठगंज में एक छोटे से मकान में जन्मे सैयद अतहर हसन उर्फ पंछी जालौनवी को बचपन से ही कोर्स की किताबों से अधिक कविता, शायरी, फिल्मी गीतों से लगाव रहा है। यही कारण रहा कि लगभग 25 वर्ष पूर्व उन्होंने मायानगरी में अपनी किस्मत आजमाने की सोची। लगभग 10 वर्षों तक चले संघर्ष के बाद वर्ष 2005 में उनके संघर्ष का अंत हुआ। जब फिल्मकार अनुभव सिन्हा ने उन पर भरोसा जताते हुए संजय दत्त और अभिषेक बच्चन अभिनीत फिल्म ‘दस’ के गीत लिखने का मौका दिया। इस फिल्म के गाने ‘दस बहाने करके ले गई दिल’ ने काफी धूम मचाई। कई हफ्तों तक यह गाना चार्ट बस्टर में बना रहा। उस समय यह गाना पार्टियों की जान हुआ करता था। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा।
एक वार्ता में पंछी जालौनवी ने बताया कि शाहरूख खान अभिनीत फिल्म राॅ वन में ‘भरे मोरे नैना,’ फिल्म कैश के गीत ‘माइंड ब्लोइंग माहिया,’ चक्रव्यूह फिल्म का ‘नोट प्यार का फेंका जाली, रैंप वैंप था दिल का खाली, कैट वाॅक करके आ गई पारो’ ने उन्हें शोहरत दिलाई। ‘दस’ फिल्म के गीत ‘दस बहाने करके ले गई दिल’ को इसी वर्ष रिलीज हुई टाइगर श्राॅफ व श्रृद्धा कपूर अभिनीत फिल्म बागी-3 में रिक्रिएट किया गया।
बताया कि उनकी लिखी कुछ गजलों को मशहूर गायक जगजीत सिंह ने अपनी आवाज दी है। हिंदुस्तानी तहजीब की नुमाइंदगी करते हुए माता के भजन भी लिखे हैं, जो काफी सराहे गए। हंसल मेहता निर्देशित फिल्म छलांग जो रिलीज होने वाली है, इस फिल्म के गीत भी उनके हिस्से आए हैं। वह जीटीवी के रिएलिटी शो सारे गामा पा लिटिल चैंप्स के ज्यूरी मेंबर के साथ ही कई टीवी शोज में गीत व स्क्रिप्ट लेखन भी कर चुके हैं। जिनमें बाबुल का आंगन छूटे न, आधे अधूरे, हमसफर, मरियम खान रिपोर्टिंग लाईव, उड़ान आदि शो शामिल हैं।
पुस्तक के प्रकाशन को लेकर उन्होंने बताया कि उन्होंने कोरोना महामारी और लाॅक डाउन के दौरान लोगों की कठिनाइयों भरी जिंदगी को करीब से देखा है। यह देखकर उन्हें अपने शुरूआती संघर्ष के दिन याद आ गए। उन्होंने अभी तक की जिंदगी और लाॅक डाउन के दौरान की जिंदगी को जिस नजरिए से देखा है, उसे उन्होंने नज्म के रूप में कागजों पर उकेरा है। उनकी इन्हीं नज्मों का प्रकाशन ‘दो सफर’ पुस्तक में हुआ है। इस पुस्तक को लेकर लोगों की काफी अच्छी प्रतिक्रियाएं मिल रही हैं। बस इसी प्रकार लोगों का स्नेह मिलता रहे। यही स्नेह उन्हें और अच्छा करने की प्रेरणा देता है

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