सुरभि इतिहास: आज से 29 वर्ष पहले, जालौन नगर का वह भीषण हादसा जिसमें कई घरों के दीये बुझ गए, आज भी बात करते हुए सहम जाते हैं लोग -जावेद अख्तर

सुरभि इतिहास: आज से 29 वर्ष पहले, जालौन नगर का वह भीषण हादसा जिसमें कई घरों के दीये बुझ गए, आज भी बात करते हुए सहम जाते हैं लोग -जावेद अख्तर

आज से 29 वर्ष पहले दीपावली के से कुछ दिन पहले 11 अक्टूबर 1991 का दिन जालौन नगरवासियों के लिए एक दुःस्वप्न की तरह है। उस रोज ऐसा हादसा हुआ कि उस हादसे को लोग आज भी अपने जहन से नहीं उतार पाए हैं। आतिशबाजी की दुकानों से शुरू हुई आग ने कई घरों के दीपक छीन लिए। डेढ़ दर्जन अन्य दुकानों में लगी आग में लगभड़ एक करोड़ का सामान जलकर राख हुआ। तबाही के बाद हर ओर बर्बादी का मंजर नजर आ रहा था। लोग बताते हैं कि हादसे के बाद तीन दिनों तक धुएं के गुबार उठते रहे थे।

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सुरभि सबला: नगर की बेटी ने लहराया सफलता का परचम, बढ़ाया नगर का गौरव -जावेद अख्तर

सुरभि सबला: नगर की बेटी ने लहराया सफलता का परचम, बढ़ाया नगर का गौरव -जावेद अख्तर

जालौन। नगर की बेटी ने नीट की परीक्षा उत्तीर्ण कर एमबीबीएस में प्रवेश पाकर नगर का गौरव बढ़ाया। एसबीडीएम इंटर काॅलेज की छात्रा को मिली इस सफलता पर नगर के लोग प्रफुल्लित हैं। लोगों ने उसके घर जाकर बधाइयां दीं। सुरभि संदेश परिवार भी बेटी की इस सफलता पर उसे शुभकामनाएं देता है।

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जिले के पर्यटन स्थल में शुमार जालौन नगर के ताईबाई महल की क्या है खास बात

जिले के पर्यटन स्थल में शुमार जालौन नगर के ताईबाई महल की क्या है खास बात

ताईबाई का महल 17वीं शताब्दी में निर्माण कराया गया था। इस महल में कई गुप्त द्वारों और सुरंगों का निर्माण कराया गया था। यह सुरंग कहां निकलती थीं यह आज भी एक रहस्य बना हुआ है। अंग्रेजों के आधिपत्य के बाद उन्होंने इन सुरंगों के निकलने का स्थान पता लगाने की कोशिश की लेकिन कोई सफलता न मिलने पर उन्होंने सुरंगों के द्वार को बंद करा दिया।

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आखिर नारी की पूजा करने वाले देश में क्यों होते हैं बलात्कार

आखिर नारी की पूजा करने वाले देश में क्यों होते हैं बलात्कार

हिमारे में नारी की पूजा के लिए एक पूरा पर्व है। इसके बाद भी बलात्कार की घटनाएं सोचने पर विवश करती है कि आखिर गलती कहां कर रहे हैं। पढ़िए पूरा आलेख

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सुरभि सबला : अजीजन बेगम

सुरभि सबला : अजीजन बेगम

1857 की जंग-ए-आजादी में महिलाओं की भी अहम भूमिका रही। इनमें रानी लक्ष्मीबाई, बेगम हजरत महल, बेगम जीनत महल जैसी राजसी महिलाओं से लेकर पिछड़े तबके तक की महिलाएं थीं। लेकिन इन्हें इतिहास में वह सम्मान और स्थान नहीं मिल सका, जिसकी ये हकदार थीं। इनके प्रशस्ति गीत नहीं गाए गए। इनकी जांबाजी के कारनामे वक्त की गर्त में विलुप्त हो गए। ऐसी ही कुछ वीरांगनाओं के बारे में हम आपको यहां जानकारी देंगे।

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झलकारी बाई पर विशेष चर्चा

झलकारी बाई पर विशेष चर्चा

बुंदेलखंड की झलकारी बाई कौन थी और उन्होंने अग्रेंजी सेना से रानी लक्ष्मीबाई को कैसे बचाया था?

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ईद मीलादुन्नबी पर घरों पर मोहल्लों में की गई सजावट    -जावेद अख्तर

ईद मीलादुन्नबी पर घरों पर मोहल्लों में की गई सजावट -जावेद अख्तर

सुब्हानी जामा मस्जिद में मौलाना शहाबुद्दीन द्वारा बाद नमाजे जुमा मीलादे मुस्तफा का आयोजन किया गया। जिसमें काफी लोगों ने शिरकत की। उन्होंने मोहम्मद साहब के संदेशों को अमन और भाईचारे का पैगाम बताया। वहीं, बच्चों ने नात ए पाक सुनाकर लोगों के दिलों में जगह बनाई।

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2 रुपये का पुराना नोट भी आपको लखपति बना सकता है, जानिए कैसे      : जावेद अख्तर

2 रुपये का पुराना नोट भी आपको लखपति बना सकता है, जानिए कैसे : जावेद अख्तर

जालौन। क्या आप विश्वास कर सकते हैं कि एक, दो या दस का नोट आपको लखपति भी बना सकता है। आप भले ही इस पर विश्वास न करें लेकिन यह सौ फीसदी सत्य है कि एक, दो या दस का नोट आपको लखपति भी बना सकता है। इसके लिए जरूरी है कि आपके पास नोट पुराना और दुर्लभ श्रेणी का होना चाहिए।

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क्यों है नए संसद भवन की जरूरत और क्या खास है नए संसद भवन में, जाने सभी कुछ    : अफजाल अहमद

क्यों है नए संसद भवन की जरूरत और क्या खास है नए संसद भवन में, जाने सभी कुछ : अफजाल अहमद

जालौन। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बीती 10 दिसंबर को नए संसद भवन का शिलान्यास किया गया। हालांकि शीर्ष अदालत ने लंबित याचिकाओं की वजह से मात्र शिलान्यास की अनुमति दी थी। याचिकाओं के निपटारे तक निर्माण कार्य को मंजूरी नहीं दी गई है। सुरभि संदेश में जानते हैं कि वर्तमान संसद भवन के होते हुए नए संसद भवन की क्यों आवश्यकता है। नए संसद भवन में क्या खास विशेषताएं होंगी। साथ ही वर्तमान संसद भवन के बारे में भी जानने का प्रयास करेंगे।

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भारत को अखंड भारत बनाने वाले राजनेता की पुण्यतिथि पर विशेष सामग्री   : अनिल शिवहरे

भारत को अखंड भारत बनाने वाले राजनेता की पुण्यतिथि पर विशेष सामग्री : अनिल शिवहरे

स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पं. नेहरू व प्रथम उप प्रधानमंत्री सरदार पटेल में आकाश-पाताल का अंतर था। नेहरू प्रायः सोचते रहते थे, सरदार पटेल उसे कर डालते थे। नेहरू शास्त्रों के ज्ञाता थे, पटेल शस्त्रों के पुजारी थे। पटेल ने भी ऊंची शिक्षा पाई थी परंतु उनमें किंचित भी अहंकार नहीं था। वे स्वयं कहा करते थे, ‘मैंने कला या विज्ञान के विशाल गगन में ऊंची उड़ानें नहीं भरीं। मेरा विकास कच्ची झोपड़ियों में गरीब किसान के खेतों की भूमि और शहरों के गंदे मकानों में हुआ है।’ जबकि पं. नेहरू को गांव की गंदगी और ग्रामीण जीवन से चिढ़ थी। पं. नेहरू अंतर्राष्ट्रीय ख्याति के इच्छुक थे और समाजवादी प्रधानमंत्री बनना चाहते थे।

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भारतीय राजनीति की वह बेहद खुबसूरत महिलाएं जिन्हें ‘ब्यूटी विद ब्रेन’ माना गया   : जावेद अख्तर

भारतीय राजनीति की वह बेहद खुबसूरत महिलाएं जिन्हें ‘ब्यूटी विद ब्रेन’ माना गया : जावेद अख्तर

भारत ने सौंदर्य और ग्लैमर के क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान स्थापित की है। हम कई बार मिस वर्ल्ड और मिस यूनिवर्स का खिताब जीत चुके हैं। हमारे देश के महिलाओं की खूबसूरती केवल इन खिताबों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि वो राजनीति में भी अपना योगदान बखूबी दे रही हैं। कई महिलाएं हैं जितनी चर्चा उनकी सुंदरता को लेकर होती है, उतनी ही वह अपने राजनैतिक करियर को लेकर भी चर्चित हैं। आज सुरभि संदेश में आपको राजनीति में सक्रिय इन्हीं महिलाओं के बारे में परिचित करा रहे हैं।

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भारत की वह बेहद खूबसूरत राजकुमारियां और महारानियां जिन्होंने इतिहास को बदलकर रख दिया    : मनोज गुप्त

भारत की वह बेहद खूबसूरत राजकुमारियां और महारानियां जिन्होंने इतिहास को बदलकर रख दिया : मनोज गुप्त

जालौन। भारत में राजा-महाराजाओं का जमाना बेशक गुजर गया हो लेकिन राजाओं के शाही परिवार अपनी प्रतिष्ठा, शौर्य, गरिमा, स्वाभिमान, बाहुबल, परोपकार तो कभी अपने असीम सौंदर्य के कारण आज भी याद किए जाते हैं। भारतीय इतिहास राजसी परिवारों के वैभवशाली जीवन और सुंदरता की कथाओं से परिपूर्ण है। बात जब राजा के शौर्य और साहस की होती है तो रानियों और राजकुमारियों के सौंदर्य की चर्चा भी कम नहीं होती है। इन्ही शाही परिवारों में कई रमणीय राजकुमारियां भी हुई हैं। अपनी खूबसूरती और सौंदर्य से मोहित करने वाली ऐसी ही भारतीय सुंदरियों से ‘सुरभि संदेश’ आपको परिचित कराने जा रहा है। जिन्हें अब तक की सबसे खूबसूरत महिलाओं में गिना जाता है...

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जिसके नाम के आगे ही अटल है उसे भला कौन मिटा सकता है   : अनिल शिवहरे

जिसके नाम के आगे ही अटल है उसे भला कौन मिटा सकता है : अनिल शिवहरे

जालौन। भारतीय जनता पार्टी के संस्थापक सदस्यों में रहे पहले गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री जिन्हें राष्ट्र सेवा के लिए भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया, हिंदी को अंतर्राष्ट्रीय पहचान दिलाने एवं भारत को परमाणु संपन्न राष्ट्र बनाने वाले कुशल वक्ता, राजनीतिज्ञ व कवि हृइय अटल बिहारी बाजपेई

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लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की हार नहीं होती    : पुष्पेंद्र यादव

लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की हार नहीं होती : पुष्पेंद्र यादव

अपनी आँखों की रोशनी खो देने के बावजूद प्रांजल ने वो कर दिखाया, जिस पर शायद ही कोई यकीन करे। संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी-यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन) की सिविल सेवा परीक्षा पास कर प्रांजल देश की पहली नेत्रहीन महिला आईएएस (इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस-भारतीय प्रशासनिक सेवा) अफसर बन गयी है। आइए सुरभि संदेश सबला के अंतर्गत इस जांबाज महिला के बारे में जानते हैं

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कोंच चैराहे पर स्थित दीन दयाल उपाध्याय प्रतिमा स्थल दिन बहुरने के इंतजार में है :     जावेद अख्तर

कोंच चैराहे पर स्थित दीन दयाल उपाध्याय प्रतिमा स्थल दिन बहुरने के इंतजार में है : जावेद अख्तर

दीनदयाल उपाध्याय और उनके विचारों को सम्मान देने के लिए तत्कालीन एमएलए व लघुउद्योग मंत्री बाबूराम दादा ने कोंच चैराहे पर स्थापित पंडित दीन दयाल उपाध्याय की प्रतिमा का वर्ष 13 जून 1999 को में अनावरण किया था। लेकिन समय के साथ उनको भुला दिया गया है। यही कारण है कि आज उनकी अपने दिन बहुरने का इंतजार कर रही है।

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भारत के ऐसे निडर राजनेता जिन्होंने इंदिरा गांधी को अपने सामने नचवाने की बात कही थी। एकमात्र राजनेता जिनका पार्थिक शरीर तीन देशों के राष्ट्रीय ध्वज में लपेटा गया था -मनोज गुप्त

भारत के ऐसे निडर राजनेता जिन्होंने इंदिरा गांधी को अपने सामने नचवाने की बात कही थी। एकमात्र राजनेता जिनका पार्थिक शरीर तीन देशों के राष्ट्रीय ध्वज में लपेटा गया था -मनोज गुप्त

19 अप्रैल 1997 को जब उनकी अंतिम यात्रा निकल रही थी तब उनके पार्थिव शरीर को 3 देशों (भारत, इंडोनेशिया और रूस) के राष्ट्रीय ध्वज में लपेटा गया था। ऐसे बीजू पटनायक को भारत के साथ-साथ इंडोनेशिया में भी इतना सम्मान हासिल है तो इसमें आश्चर्य की कोई बात नहीं है। बीजू पटनायक के निधन के बाद इंडोनेशिया में सात दिनों का राजकीय शोक मनाया गया था और रूस में एक दिन के लिए राजकीय शोक मनाया गया था एवं सारे झंडे झुका दिए गए थे।

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भ्राता दिवस (ब्रदर्स डे) को लेकर नगर के युवाओं की प्रतिक्रियाएं

भ्राता दिवस (ब्रदर्स डे) को लेकर नगर के युवाओं की प्रतिक्रियाएं

जालौन। यूं तो भारत में रक्षा बंधन और भाई दूज का पर्व भाई बहिन के प्यार के प्रतीक के रूप में प्रचलित है। लेकिन अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सिवलिंग डे एवं ब्रदर्स डे मनाया जाता है। हर साल 24 मई को मनाए जाने वाले ब्रदर्स डे की शुरूआत अमेरिका के अलबामा में सी डैनियल रोड्स ने की थी

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आधुनिक शिक्षा को लेकर लोगों की प्रतिक्रियाएं, कोरोना काल ने शिक्षा को लेकर हमें क्या सिखाया ?    -जावेद अख्तर

आधुनिक शिक्षा को लेकर लोगों की प्रतिक्रियाएं, कोरोना काल ने शिक्षा को लेकर हमें क्या सिखाया ? -जावेद अख्तर

जालौन। अब समय आ गया है कि देश की शिक्षा नीति के बारे में एक बार फिर से सोचा जाए। शिक्षा के साथ छात्रों को वह हुनर भी सिखाए जाएं और उन्हें पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए जिससे रोजमर्रा के कामकाज वह ठीक से कर सकें। कोरोना के समय आक्सीजन की आवश्कयता पड़ी। आक्सीजन कंसंट्रेटर मशीन को बहुत से लोग खरीद सकते हैं, घर पर किराए पर लगवा सकते हैं, लेकिन उसे लगाने वाले टेक्नीशियन, कंपाउंडर कहां से लाएंगे। हमारे पास ट्रेंड कम्पाउंडर हैं ही नहीं। जो थोड़े बहुत हैं वे अस्पतालों को ही कम पड़ रहे हैं।

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फादर्स डे पर नगर की बेटियां अपने पिता को लेकर क्या कहती हैं, जानें

फादर्स डे पर नगर की बेटियां अपने पिता को लेकर क्या कहती हैं, जानें

जालौन । ‘फादर्स-डे’ एक ऐसा दिवस होता है, जब घर के बेटे या बेटियां अपने घर के मुखिया यानी ‘पिता’ को याद करते हैं। पिता घर का वह हिस्सा होता है, जो गम में अपनी आंखें कभी नम नहीं होने देता और खुशियों को साथ मिलकर बांटता है। पिता बिना किसी स्वार्थ के अपना पूरा जीवन अपने बच्चों की परवरिश में लगा देता है। पिता के अहसानों का बदला किसी भी कीमत पर नहीं चुकाया जा सकता। लेकिन ‘फादर्स-डे’ के मौके पर हम उनके प्रति अपने प्रेम को याद व उसका इजहार तो कर ही सकते हैं। पिता के प्रति अपनी श्रृद्धा को दिखाते हुए ‘फादर्स-डे’ के मौके पर नगर की बेटियों ने पिता के प्रति अपनी भावनाओं का इजहार कुछ यूं किया।

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जालौन में अधिकारियों और कर्मचारियों की लापरवाही का शिकार रेलवे रिजर्वेशन काउंटर, कर्मचारी नहीं बैठते काउंटर पर, लोग परेशान                        -जावेद अख्तर

जालौन में अधिकारियों और कर्मचारियों की लापरवाही का शिकार रेलवे रिजर्वेशन काउंटर, कर्मचारी नहीं बैठते काउंटर पर, लोग परेशान -जावेद अख्तर

जालौन। उप डाकघर में संचालित रेलवे रिजर्वेशन काउंटर पर आए दिन सर्वर खराब रहने से काम ठप रहता है। लोग टिकट के लिए घंटों लाइन में लगते हैं। जिसके बाद सर्वन न आने से लोगों को मायूस होकर वापस लौटना पड़ता है। ऐसे में लोगों का समय बर्बाद होता है साथ ही उन्हें जिला मुख्यालय पर जाकर टिकट कराने पड़ते हैं। इतना ही नहीं कर्मचारी भी रिजर्वेशन करने में रूचि नहीं दिखाते हैं। जिसके चलते काउंटर से कर्मचारी नदारत नजर आते हैं। रिजर्वेशन काउंटर होने के बावजूद नगर व क्षेत्र जनता को इसका लाभ नहीं मिल रहा है जिससे लोगों में रोष है। नगरवासियों ने रेल महाप्रबंधक से व्यवस्थाएं ठीक कराने की मांग की है।

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पुलिस उत्पीड़न रोकने और पुलिस की कार्यशैली को जनमित्र के रूप में बनाने के लिए शिक्षक समाजसेवी 5 हजार लोगों के सुझाव पत्र मुख्यमंत्री समेत पुलिस अधिकारियों को भेज रहे हैं ताकि बदलाव की शुरूआत हो सके

पुलिस उत्पीड़न रोकने और पुलिस की कार्यशैली को जनमित्र के रूप में बनाने के लिए शिक्षक समाजसेवी 5 हजार लोगों के सुझाव पत्र मुख्यमंत्री समेत पुलिस अधिकारियों को भेज रहे हैं ताकि बदलाव की शुरूआत हो सके

समाजसवी व शिक्षक धीरज बाथम ने बताया कि भारत में पुलिसिया कार्यशैली अंग्रेजों से उधार ली गई है। यही कारण है कि वर्तमान में पुलिस की जो कार्यशैली है वह जनता को हतोत्साहित करने वाली है। पुलिस को लेकर आम नागरिकों के मन में एक डर बना रहता है। जिसके चलते लोग अपनी शिकायत करने तक में पुलिस के पास जाने से संकोच करते हैं। ऐसी घटनाएं आए दिन सामने आती हैं कि जब किसी घटना में बच्चे के सामने पुलिस कर्मी उसके पिता को पीटना शुरू कर देते हैं। मां बहिन की गालियां देना तो पुलिस कर्मियों के लिए आम बात है। बाजार में रिक्शा व ठिलिया चालकों पर डंडे चलाना और उन्हें गालियों देना जब तक दिखता रहता है। इतना ही नहीं वयोवृद्ध नागरिक अथवा युवाओं को थप्पड़ मार देना भी इनमें शामिल है। ऐसी स्थिति को जब आम नगारिक देखता है तो पुलिस के प्रति उसके मन में डर ही उत्पन्न होता है।

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अफगानिस्तान में लोकतंत्र की एक शर्मनाक हार: मनोज गुप्त

अफगानिस्तान में लोकतंत्र की एक शर्मनाक हार: मनोज गुप्त

इस वक्त तालिबान दुनिया का सबसे शक्तिशाली आतंकवादी संगठन बन चुका है, जिसके पास अपनी एक पूरी की पूरी सेना है। यहां तक कि एयरफोर्स भी है। साल 2002 में अमेरिका ने अफगानिस्तान में एक एयरफोर्स बनाई थी जिसका काम तालिबान से जंग लड़ना था। इस एयरफोर्स का नाम था अफगान नेशनल आर्मी एयर कॉर्प्स।

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जालौन नगर से कौन फंसा यूक्रेन और रूस में

जालौन नगर से कौन फंसा यूक्रेन और रूस में

जालौन। रूस और यूक्रेन में पिछले 24 घंटे में जो हालात बिगड़े हैं, उसे लेकर वहां पढ़ाई करने गए भारतीय छात्रों के अभिभावको की धड़कनें बढ़ गई हैं। रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध के बीच नगर के 4 छात्र भी यूक्रेन और रूस में फंसे हुए हैं। युद्ध के बीच विदेश में फंसे हुए छात्रों के परिजन बच्चों को लेकर परेशान हैं। परिजनों ने भारत सरकार से मांग की है कि जब तक स्थित शांत नहीं होती है उनके बच्चों को सकुशल भारत लाया जाए।

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आखिर कब होगी युद्ध के बीच छात्रों की वापसी, अभिभावक चिंतित

आखिर कब होगी युद्ध के बीच छात्रों की वापसी, अभिभावक चिंतित

जालौन। रूस और यूक्रेन के युद्ध के बीच नगर के जो छात्र यूक्रेन और रूस में फंसे हुए हैं उनकी हालांकि परिजनों से तो बात हो रही है। लेकिन सबसे अधिक समस्या खाने पीने के सामान को लेकर हो रही है। रात में छात्रों को मैट्रो स्टेशन के बेसमेंट में रूकना पड़ रहा है। ऐसी स्थिति में अभिभावक चिंतित हैं और बच्चों की जल्द एवं सकुशल घर वापसी की राह देख रहे हैं।

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